tag:blogger.com,1999:blog-8148024499524972835.post2990671815070370914..comments2023-10-25T13:02:21.772+05:30Comments on मेरे सपने: लेकिन मन आज़ाद नहीं है Vivek Jainhttp://www.blogger.com/profile/06451362299284545765noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-8148024499524972835.post-47280152838574366632012-12-12T20:07:27.106+05:302012-12-12T20:07:27.106+05:30गोपाल दास नीरज की लोकप्रिय रचनाओं में यह रचना भी श...गोपाल दास नीरज की लोकप्रिय रचनाओं में यह रचना भी शामिल हो पता नहीं। किन्तु आपने उनकी शैली की एक और बानगी प्रस्तुत कर दी। आभार आपका।<br />इस बीच लम्बे अरसे बाद ब्लॉग पर आये। चिन्ता हो रही थी। मैंने एक ईमेल भी भेजी थी। खुशी हुयी कि आपकी वापसी हो गयी। <br />शूरवीर रावतhttps://www.blogger.com/profile/14313931009988667413noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8148024499524972835.post-13695823166218507712012-12-11T18:32:13.220+05:302012-12-11T18:32:13.220+05:30मासूमों के गरम लहू से पर दामन आज़ाद नहीं है।
तन तो...मासूमों के गरम लहू से पर दामन आज़ाद नहीं है।<br />तन तो आज स्वतंत्र हमारा लेकिन मन आज़ाद नहीं है। ....सुन्दर भावो से ओत-प्रोत ..सुन्दर रचना आभार..<br />Maheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.com