tag:blogger.com,1999:blog-8148024499524972835.post7003339570820514425..comments2023-10-25T13:02:21.772+05:30Comments on मेरे सपने: कनुप्रिया - तुम मेरे कौन होVivek Jainhttp://www.blogger.com/profile/06451362299284545765noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-8148024499524972835.post-16025292150728687342011-10-02T18:07:33.354+05:302011-10-02T18:07:33.354+05:30धर्मवीर भारतीजी की रचना पढ़वाने के लिए आभार ..धर्मवीर भारतीजी की रचना पढ़वाने के लिए आभार ..Maheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8148024499524972835.post-51638845130231300532011-09-30T16:45:28.034+05:302011-09-30T16:45:28.034+05:30सर्वप्रथम नवरात्रि पर्व पर माँ आदि शक्ति नव-दुर्गा...सर्वप्रथम नवरात्रि पर्व पर माँ आदि शक्ति नव-दुर्गा से सबकी खुशहाली की प्रार्थना करते हुए इस पावन पर्व की बहुत बहुत बधाई व हार्दिक शुभकामनायें। बेहद मार्मिक रचना…कान्हा प्रेम……सूर्यकान्त गुप्ताhttps://www.blogger.com/profile/05578755806551691839noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8148024499524972835.post-256516710695250912011-09-30T00:28:24.081+05:302011-09-30T00:28:24.081+05:30nice.....nice.....बी.एस.गुर्जरhttps://www.blogger.com/profile/15318419352006612384noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8148024499524972835.post-28321678304879099242011-09-29T23:51:29.952+05:302011-09-29T23:51:29.952+05:30रविकरजी,वंदना जी, रेखा जी,सुबीर जी, चंदन जी, बहुत ...रविकरजी,वंदना जी, रेखा जी,सुबीर जी, चंदन जी, बहुत बहुत आभार,<br />विवेक जैनVivek Jainhttps://www.blogger.com/profile/06451362299284545765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8148024499524972835.post-52373432513076669412011-09-29T21:15:47.375+05:302011-09-29T21:15:47.375+05:30श्री सुबीर रावत जी, अंधा युग अन्तर्जाल पर मिल जाएग...श्री सुबीर रावत जी, अंधा युग अन्तर्जाल पर मिल जाएगा, आसानी से। कनुप्रिया भी शायद उपलब्ध है।चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8148024499524972835.post-58769550492978054422011-09-29T20:06:15.431+05:302011-09-29T20:06:15.431+05:30भारती जी के दो शुरूआती उपन्यास 'गुनाहों का देव...भारती जी के दो शुरूआती उपन्यास 'गुनाहों का देवता' और 'सूरज का सातवां घोड़ा' कभी पसंदीदा किताबें रही हैं. पद्ध्य कम ही पढ़ पाया. यहाँ तक कि 'अँधा युग' पढने की हसरत मन में ही रह गयी. आज आपके सौजन्य से इतनी गंभीर और सार्थक रचना पढने को मिली. कैसे आभार व्यक्त करूं. इतना अवश्य कहूँगा कि आप हमें विविध कवियों के रचना संसार से परिचित कराते हैं. ईश्वर करे उन समस्त दिवंगत/जीवित कवियों का आशीर्वाद आप पर बरसता रहे.शूरवीर रावतhttps://www.blogger.com/profile/14313931009988667413noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8148024499524972835.post-38422062115985132852011-09-29T15:35:58.684+05:302011-09-29T15:35:58.684+05:30धर्मवीर भारतीजी की रचना पढ़वाने के लिए आभार ..धर्मवीर भारतीजी की रचना पढ़वाने के लिए आभार ..रेखाhttps://www.blogger.com/profile/14478066438617658073noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8148024499524972835.post-71558973898387022812011-09-29T10:47:20.475+05:302011-09-29T10:47:20.475+05:30बेह्द गहन और सशक्त अभिव्यक्ति।बेह्द गहन और सशक्त अभिव्यक्ति।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8148024499524972835.post-21320277833450406612011-09-29T08:34:59.688+05:302011-09-29T08:34:59.688+05:30चर्चा-मंच पर हैं आप
पाठक-गण ही पञ्च हैं, शोभित चर...चर्चा-मंच पर हैं आप<br /><br />पाठक-गण ही पञ्च हैं, शोभित चर्चा मंच |<br /><br />आँख-मूँद के क्यूँ गए, कर भंगुर मन-कंच |<br /><br /><br />कर भंगुर मन-कंच, टिप्पणी करते जाओ |<br /><br />प्रस्तोता का करम, नरम नुस्खा अपनाओ |<br /><br /><br />रविकर न्योता देत, द्वार पर सुनिए ठक-ठक |<br /><br />चलिए रचनाकार, लेखकालोचक-पाठक ||<br /><br />शुक्रवार<br /><br />चर्चा - मंच : 653<br /><br />http://charchamanch.blogspot.com/रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.com