मुझे कहानी कहते कहते -
माँ तुम क्यों सो गईं?
जिसकी कथा कही क्या उसके
सपने में खो गईं?
मैं भरता ही रहा हुंकारा, पर तुम मूक हो गईं सहसा
जाग उठा है भाव हृदय में, किसी अजाने भय विस्मय-सा
मन में अदभत उत्कंठा का -
बीज न क्यों बो गईं?
माँ तुम क्यों सो गईं?
बीते दिन का स्वप्न तुम्हारा, किस भविष्य की बना पहेली
रही अबूझी बात बुद्धि को रातों जाग कल्पना खेली
फिर आईं या नहीं सात -
बहनें बन में जो गईं?
माँ तुम क्यों सो गईं?
पीले रंग के जादूगर ने कैसी काली वेणु बजाई
बेर बीनती सतबहना को फिर न कहीं कुछ दिया दिखाई
क्यों उनकी आँखें, ज्यों मेरी -
गगनलीन हो गईं?
माँ तुम क्यों सो गईं?
फिर क्या हुआ सोचता हूँ मैं, क्या अविदित वह शेष कथा है
जीव जगे भव माता सोए, मन में कुछ अशेष व्यथा है
बेध सुई से प्रश्न फूल मन -
माला में पो गईं!
माँ तुम क्यों सो गईं?
-पं. नरेन्द्र शर्मा
भावुक करती कविता. आपका कविताओं का संग्रह काफी अच्छा है. धन्यवाद.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और भावपूर्ण कविता!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
स्वपन-कल्पना का विस्तृत विश्व।
ReplyDeleteaap jab bhi kuchh late hain
ReplyDeletekhubsurat hi hota hai....
बढ़िया लिखा है शर्मा जी ने .खुबसूरत कविता .शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और भावपूर्ण कविता!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteaapto bachapan louta lae saree yade taza ho aaee hai...
ReplyDeletesuner prastuti.
भावनाप्रधान गीत. गीत में गत्यात्मकता इतनी कि पाठक खो कर रह जाता है. ..... एक सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और भावपूर्ण कविता!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-.....
बहुत ही भावपूर्ण रचना....
ReplyDeleteबहुत प्यारी...
भाव पूर्ण ... गहरे तक जाती है ये संवेदनशील रचना ...
ReplyDeleteमन को छू जाने वाले भाव।
ReplyDelete.......
प्रेम एक दलदल है..
’चोंच में आकाश’ समा लेने की जिद।
बहुत भावपूर्ण कविता प्रस्तुत की है आपने...
ReplyDeleteसादर..
फिर क्या हुआ सोचता हूँ मैं, क्या अविदित वह शेष कथा है
ReplyDeleteजीव जगे भव माता सोए, मन में कुछ अशेष व्यथा है
बेध सुई से प्रश्न फूल मन -
माला में पो गईं!
माँ तुम क्यों सो गईं?
.....gahan bhav mein piroyee sundar mamtamayee prastuti...
माँ तुम क्यों सो गईं?
ReplyDeletebeautiful touching poem
पं. नरेन्द्र शर्मा को पढवाने का शुक्रिया...
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