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Friday, December 9, 2011

सो न सका

सो न सका कल याद तुम्हारी आई सारी रात
और पास ही बजी कहीं शहनाई सारी रात

मेरे बहुत चाहने पर भी नींद न मुझ तक आई
ज़हर भरी जादूगरनी-सी मुझको लगी जुन्हाई
मेरा मस्तक सहला कर बोली मुझसे पुरवाई
दूर कहीं दो आँखें भर-भर आई सारी रात
और पास ही बजी कहीं शहनाई सारी रात

गगन बीच रुक तनिक चन्द्रमा लगा मुझे समझाने
मनचाहा मन पा लेना है खेल नहीं दीवाने
और उसी क्षण टूटा नभ से एक नखत अनजाने
देख जिसे तबियत मेरी घबराई सारी रात
और पास ही बजी कहीं शहनाई सारी रात

रात लगी कहने सो जाओ देखो कोई सपना
जग ने देखा है बहुतों का रोना और तड़पना
यहाँ तुम्हारा क्या, कोई भी नहीं किसी का अपना
समझ अकेला मौत मुझे ललचाई सारी रात
और पास ही बजी कहीं शहनाई सारी रात

मुझे सुलाने की कोशिश में जागे अनगिन तारे
लेकिन बाज़ी जीत गया मैं वे सबके सब हारे
जाते-जाते चाँद कह गया मुझसे बड़े सकारे
एक कली मुरझाने को मुसकाई सारी रात
और पास ही बजी कहीं शहनाई सारी रात

-रमानाथ अवस्थी

जीवन परिचय- रमानाथ अवस्थी (1926-2002) का जन्म फतेहपुर, उत्तरप्रदेश में हुआ। इन्होंने आकाशवाणी में प्रोडयूसर के रूप में वर्षों काम किया। 'सुमन- सौरभ, 'आग और पराग, 'राख और शहनाई तथा 'बंद न करना द्वार इनकी मुख्य काव्य-कृतियां हैं। ये लोकप्रिय और मधुर गीतकार हैं। इन्हें उत्तरप्रदेश सरकार ने पुरस्कृत किया है।

12 comments:

  1. बहुत खूबसूरत प्रस्तुति |
    बधाई स्वीकारें ||

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  2. खूबसूरत कविता रामनाथ जी बारे में जानते है जी
    आखिर हमारे शहर फतेहपुर के ही है

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  3. खूबसूरत कविता रामनाथ जी बारे में जानते है जी
    आखिर हमारे शहर फतेहपुर के ही है

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  4. मुझे सुलाने की कोशिश में जागे अनगिन तारे
    लेकिन बाज़ी जीत गया मैं वे सबके सब हारे
    जाते-जाते चाँद कह गया मुझसे बड़े सकारे
    एक कली मुरझाने को मुसकाई सारी रात
    और पास ही बजी कहीं शहनाई सारी रात
    वाह ...बहुत ही बढिया़।

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  5. वाह ... अवस्थी जी के एक बेहतरीन रचना ...

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  6. किसी फिल्म में सुने गीत की तरह लगता है, क्यों?

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  7. भावों से नाजुक शब्‍द.बेजोड़ भावाभियक्ति....

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  8. बेहतरीन रचना ...

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  9. इतनी सुंदर रचना पढवाने के लिए धन्यवाद.

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  10. मुझे सुलाने की कोशिश में जागे अनगिन तारे
    लेकिन बाज़ी जीत गया मैं वे सबके सब हारे
    जाते-जाते चाँद कह गया मुझसे बड़े सकारे
    एक कली मुरझाने को मुसकाई सारी रात
    और पास ही बजी कहीं शहनाई सारी रात

    अति सुन्दर ....!!

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  11. This comment has been removed by the author.

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