Saturday, May 8, 2010

जो बीत गयी सो बात गयी

जीवन में एक सितारा था
माना यह बेहद प्यारा था
यह डूब गया तो डूब गया
अंबर के आनन को देखो
कितने इसके तारे टूटे
कितने इसके प्यारे छूटे
जो छूट गये फिर कहाँ मिले
पर बोलो टूटे तारों पर
कब अंबर शोक मनाता है
जो बीत गयी सो बात गयी ।

जीवन में वह था एक कुसुम
थे उस पर नित्य निछावर तुम
वह सूख गया तो सूख गया
मधुबन की छाती को देखो
सूखीं कितनी इसकी कलियां
मुरझायीं कितनी बल्लरियां
जो मुरझायीं फिर कहां खिलीं
पर बोलो सूखे फूलों पर
कब मधुबन शोर मचाता है
जो बीत गयी सो बात गयी ।

जीवन में मधु का प्याला था
तुमने तन मन दे डाला था
वह टूट गया तो टूट गया
मदिरालय का आंगन देखो
कितने प्याले हिल जाते हैं
गिर मिट्टी में मिल जाते हैं
जो गिरते हैं कब उठते हैं
पर बोलो टूटे प्यालों पर
कब मदिरालय पछताता है
जो बीत गयी सो बात गयी ।

मृदु मिट्टी के हैं बने हुये
मधु घट फूटा ही करते हैं
लघु जीवन लेकर आये हैं
प्याले टूटा ही करते हैं
फिर भी मदिरालय के अंदर
मधु के घट हैं मधु प्याले हैं
जो मादकता के मारे हैं
वें मधु लूटा ही करते हैं
वह कच्चा पीने वाला है
जिसकी ममता घट प्यालों पर
जो सच्चे मधु से जला हुआ
कब रोता है कब चिल्लाता है
जो बीत गयी सो बात गयी ।
-हरिवंशराय बच्चन




7 comments:

36solutions said...

आपके सपनो का स्‍वागत है.

आरंभ

अजय कुमार said...

हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

अनूप शुक्ल said...

वाह,बहुत सुन्दर।

PREETY SETHIA said...

स्वागत है | दुसरे ब्लॉग भी पढें व बहुमूल्य टिप्पणी दे

B .L .S E T H I A said...

स्वागत है | दुसरे ब्लॉग भी पढें व बहुमूल्य टिप्पणी दे

Vivek Jain said...

Thank you all for your response and comments

डिम्पल मल्होत्रा said...

its my favorite one.