Thursday, July 8, 2010

यह दिया बुझे नहीं

घोर अंधकार हो¸
चल रही बयार हो¸
आज द्वार–द्वार पर यह दिया बुझे नहीं
यह निशीथ का दिया ला रहा विहान है।
शक्ति का दिया हुआ¸
शक्ति को दिया हुआ¸
भक्ति से दिया हुआ¸
यह स्वतंत्रता–दिया¸
रूक रही न नाव हो
जोर का बहाव हो¸
आज गंग–धार पर यह दिया बुझे नहीं¸
यह स्वदेश का दिया प्राण के समान है।

यह अतीत कल्पना¸
यह विनीत प्रार्थना¸
यह पुनीत भावना¸
यह अनंत साधना¸
शांति हो¸ अशांति हो¸
युद्ध¸ संधि¸ क्रांति हो¸
तीर पर¸ कछार पर¸ यह दिया बुझे नहीं¸
देश पर¸ समाज पर¸ ज्योति का वितान है।

तीन–चार फूल है¸
आस–पास धूल है¸
बांस है –बबूल है¸
घास के दुकूल है¸
वायु भी हिलोर दे¸
फूंक दे¸ चकोर दे¸
कब्र पर मजार पर¸ यह दिया बुझे नहीं¸
यह किसी शहीद का पुण्य–प्राण दान है।

झूम–झूम बदलियाँ
चूम–चूम बिजलियाँ
आंधिया उठा रहीं
हलचलें मचा रहीं
लड़ रहा स्वदेश हो¸
यातना विशेष हो¸
क्षुद्र जीत–हार पर¸ यह दिया बुझे नहीं¸
यह स्वतंत्र भावना का स्वतंत्र गान है।
-गोपाल सिंह नेपाली

9 comments:

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

एक अत्यंत सुन्दर कविता पढवाने के लिए शुक्रिया

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ said...

Khoobsoorat!Prernadayak!

संजीव गौतम said...

apka blog achchhaa lagaa badhiyaa sangraha hai. ek hi baar men sari padh dali thanks

Udan Tashtari said...

सुन्दर रचना.

arvind said...

यह अतीत कल्पना¸
यह विनीत प्रार्थना¸
यह पुनीत भावना¸
यह अनंत साधना¸
शांति हो¸ अशांति हो¸
युद्ध¸ संधि¸ क्रांति हो¸
तीर पर¸ कछार पर¸ यह दिया बुझे नहीं¸
देश पर¸ समाज पर¸ ज्योति का वितान है।
...............अत्यंत सुन्दर कविता

ZEAL said...

तीन–चार फूल है¸
आस–पास धूल है¸
बांस है –बबूल है¸
घास के दुकूल है¸
वायु भी हिलोर दे¸
फूंक दे¸ चकोर दे¸
कब्र पर मजार पर¸ यह दिया बुझे नहीं¸
यह किसी शहीद का पुण्य–प्राण दान है।

waah ! waah ! waah !

अत्यंत सुन्दर कविता पढवाने के लिए शुक्रिया..

Vivek Jain said...

Thanks for comments and appreciation.

इस्मत ज़ैदी said...

एक अत्यंत प्रभावशाली ,जोशीली,प्रोत्साहित करने वाली कविता!
बहुत सुंदर शब्द प्रवाह ,सटीक शब्दों का चयन कविता के पाठकों को बांधे रखने में पूर्णतया सफल है
सुंदर विचारों की सुंदर अभिव्यक्ति
बधाई स्वीकार करें

दिगम्बर नासवा said...

क्षुद्र जीत–हार पर¸ यह दिया बुझे नहीं¸
यह स्वतंत्र भावना का स्वतंत्र गान है ..

अत्यंत जोशीली ... उत्साह का संचार करती ... अति उत्तम रचना है ....