Saturday, August 20, 2011

एक नया अनुभव


मैनें चिड़िया से कहा, मैं तुम पर एक
कविता लिखना चाहता हूँ।
चिड़िया नें मुझ से पूछा, 'तुम्हारे शब्दों में
मेरे परों की रंगीनी है?'
मैंने कहा, 'नहीं'।
'तुम्हारे शब्दों में मेरे कंठ का संगीत है?'
'नहीं।'
'तुम्हारे शब्दों में मेरे डैने की उड़ान है?'
'नहीं।'
'जान है?'
'नहीं।'
'तब तुम मुझ पर कविता क्या लिखोगे?'
मैनें कहा, 'पर तुमसे मुझे प्यार है'
चिड़िया बोली, 'प्यार का शब्दों से क्या सरोकार है?'
एक अनुभव हुआ नया।
मैं मौन हो गया!

- हरिवंशराय बच्चन

13 comments:

आपका अख्तर खान अकेला said...

aek bhtrin anubhv .akhtar khan akela kota rajsthan

रेखा said...

बच्चन साहब की रचना पढ़वाने का आभार ....

चंदन कुमार मिश्र said...

क्या कविता है! कवि कविता नहीं लिख पा रहा और बन गयी एक कविता।

प्रवीण पाण्डेय said...

प्रेम शब्दों से परे हैं।

Shikha Kaushik said...

सार्थक व् सुन्दर प्रस्तुति .आभार

BLOG PAHELI NO.1

डॉ. मोनिका शर्मा said...

प्यार का शब्दों से क्या सरोकार है?'

Ek behtreen kavita padhwai.... Abhar

Vandana Ramasingh said...

चिड़िया बोली, 'प्यार का शब्दों से क्या सरोकार है?'
एक अनुभव हुआ नया।.....
वाकई अनुभव हुआ नया

Maheshwari kaneri said...

बच्चन साहब की सुन्दर रचना पढ़वाने का आभार ....

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

सुंदर

Vaanbhatt said...

ये हैं बच्चन...

Satish Saxena said...

यह जन्माष्टमी देश के लिए और आपको शुभ हो !

Saru Singhal said...

Very deep and thanks for sharing...Your blog is very interesting and inspiring...

Pratik Maheshwari said...

सही है.. प्यार का शब्दों से क्या सारोकार? वाह तो अनकही, अनसुनी, अनुभूति है..