किसी को हमने याँ अपना ना पाया जिसे पाया उसे बेगाना पाया
कहाँ ढूँढ़ा उसे किस जा ना पाया कोई पर ढूँढ़ने वाला न पाया
उड़ा कर आशियाँ सरसर ने मेरा किया साफ़ इस क़दर तिनका न पाया
से पाना नहीं आसॉं, कि हमने न जब तक आपको खोया, न पाया
दवाए-दर्दे-दिल मैं किस से पूछूँ तबीबे-इश्क़ को ढूँढा न पाया
- बहादुर शाह ज़फ़र
Thursday, August 25, 2011
किसी को हमने याँ अपना ना पाया
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बहादुर शाह ज़फ़र
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4 comments:
पन्त जी बहुत ही अच्छी रचना ....
धन्यवाद् ....
बहुत ही अच्छी रचना ....
बहुत ही अच्छी।
माशा अल्लाह ! ग़ालिब की सोहबत में रहकर बहादुर शाह ज़फर साहब भी अच्छी शायरी कर लेते थे. वाह ! वाह !!
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