Thursday, December 15, 2011

छाप तिलक सब छीनी रे

छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइके
प्रेम भटी का मदवा पिलाइके
मतवारी कर लीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके
गोरी गोरी बईयाँ, हरी हरी चूड़ियाँ
बईयाँ पकड़ धर लीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके
बल बल जाऊं मैं तोरे रंग रजवा
अपनी सी रंग दीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके
खुसरो निजाम के बल बल जाए
मोहे सुहागन कीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके
छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइके

-अमीर खुसरो

जीवन परिचय- अमीर खुसरो दहलवी का जन्म सन 1253 में उत्तर-प्रदेश के एटा जिले के पटियाली नामक ग्राम में गंगा किनारे हुआ था। इनका वास्तविक नाम था - अबुल हसन यमीनुद्दीन मुहम्मद। अमीर खुसरो को बचपन से ही कविता करने का शौक़ था। इनकी काव्य प्रतिभा की चकाचौंध में, इनका बचपन का नाम अबुल हसन बिल्कुल ही विस्मृत हो कर रह गया। इनकी कुछ प्रमुख कृतियाँ तुहफ़ा-तुस-सिगर, बाक़िया नाक़िया, तुग़लकनामा, नुह-सिफ़िर हैं। प्रसिद्ध इतिहासकार जियाउद्दीन बरनी ने अपने ऐतिहासिक ग्रंथ 'तारीखे-फिरोज शाही' में स्पष्ट रुप से लिखा है कि बादशाह जलालुद्दीन फ़ीरोज़ खिलजी ने अमीर खुसरो की एक चुलबुली फ़ारसी कविता से प्रसन्न होकर उन्हें 'अमीर' का ख़िताब दिया था जो उन दिनों बहुत ही इज़ज़त की बात थी।

12 comments:

रविकर said...

फुर्सत के दो क्षण मिले, लो मन को बहलाय |

घूमें चर्चा मंच पर, रविकर रहा बुलाय ||

शुक्रवारीय चर्चा-मंच

charchamanch.blogspot.com

Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" said...

behtarin prayas hai yah..chuninda sahityakaaron ka sahitya padhne se seekhne ko nit naya milta hai..sadar badhayee vivek jee

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

आनंद आ गया....
सादर आभार इस बेशकीमती रचना को पढवाने के लिए...

प्रवीण पाण्डेय said...

बहुत ही सुन्दर गीत है।

विभूति" said...

बेहतरीन प्रस्तुती.....

चंदन कुमार मिश्र said...

पढा।

डॉ. मोनिका शर्मा said...

Manmohak geet....

Pallavi saxena said...

मोहक गीत

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) said...

अमीर खुसरो को पढ़ना माने रस गगरिया में डूबना.

Maheshwari kaneri said...

बहुत सुन्दर गीत...

रेखा said...

बहुत ही सुन्दर ..

Anupama Tripathi said...

very nice effort.