Tuesday, January 15, 2013

उस नीलम की संध्या में

उस नीलम की संध्या में
हम तुम दो तारों जैसे !
वो घनी चांदनी शीतल
वो कथा कहानी से पल
वो नर्म दूब की शबनम
वो पुनर्जन्म सा मौसम

वो मलय समीरण झोंके
जीवन पतवारों जैसे !
उस नीलम की संध्या में
हम तुम दो तारों जैसे !

वो चांद का मद्‌धम तिरना
वो रात का रिमझिम गिरना
वो मौन का कविता करना
औ' बात का कुछ ना कहना

तारों के जगमग दीपक
नभ बंदनवारों जैसे !
उस नीलम की संध्या में
हम तुम दो तारों जैसे
-पूर्णिमा वर्मन

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