छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइके
प्रेम भटी का मदवा पिलाइके
मतवारी कर लीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके
गोरी गोरी बईयाँ, हरी हरी चूड़ियाँ
बईयाँ पकड़ धर लीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके
बल बल जाऊं मैं तोरे रंग रजवा
अपनी सी रंग दीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके
खुसरो निजाम के बल बल जाए
मोहे सुहागन कीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके
छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइके
-अमीर खुसरो
जीवन परिचय- अमीर खुसरो दहलवी का जन्म सन 1253 में उत्तर-प्रदेश के एटा जिले के पटियाली नामक ग्राम में गंगा किनारे हुआ था। इनका वास्तविक नाम था - अबुल हसन यमीनुद्दीन मुहम्मद। अमीर खुसरो को बचपन से ही कविता करने का शौक़ था। इनकी काव्य प्रतिभा की चकाचौंध में, इनका बचपन का नाम अबुल हसन बिल्कुल ही विस्मृत हो कर रह गया। इनकी कुछ प्रमुख कृतियाँ तुहफ़ा-तुस-सिगर, बाक़िया नाक़िया, तुग़लकनामा, नुह-सिफ़िर हैं। प्रसिद्ध इतिहासकार जियाउद्दीन बरनी ने अपने ऐतिहासिक ग्रंथ 'तारीखे-फिरोज शाही' में स्पष्ट रुप से लिखा है कि बादशाह जलालुद्दीन फ़ीरोज़ खिलजी ने अमीर खुसरो की एक चुलबुली फ़ारसी कविता से प्रसन्न होकर उन्हें 'अमीर' का ख़िताब दिया था जो उन दिनों बहुत ही इज़ज़त की बात थी।
फुर्सत के दो क्षण मिले, लो मन को बहलाय |
ReplyDeleteघूमें चर्चा मंच पर, रविकर रहा बुलाय ||
शुक्रवारीय चर्चा-मंच
charchamanch.blogspot.com
behtarin prayas hai yah..chuninda sahityakaaron ka sahitya padhne se seekhne ko nit naya milta hai..sadar badhayee vivek jee
ReplyDeleteआनंद आ गया....
ReplyDeleteसादर आभार इस बेशकीमती रचना को पढवाने के लिए...
बहुत ही सुन्दर गीत है।
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुती.....
ReplyDeleteपढा।
ReplyDeleteManmohak geet....
ReplyDeleteमोहक गीत
ReplyDeleteअमीर खुसरो को पढ़ना माने रस गगरिया में डूबना.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर गीत...
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर ..
ReplyDeletevery nice effort.
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