Saturday, November 26, 2011

मुरझाया फूल

यह मुरझाया हुआ फूल है,
इसका हृदय दुखाना मत।
स्वयं बिखरने वाली इसकी
पंखड़ियाँ बिखराना मत॥

गुजरो अगर पास से इसके
इसे चोट पहुँचाना मत।
जीवन की अंतिम घड़ियों में
देखो, इसे रुलाना मत॥

अगर हो सके तो ठंडी
बूँदें टपका देना प्यारे!
जल न जाए संतप्त-हृदय
शीतलता ला देना प्यारे!!

-सुभद्राकुमारी चौहान

6 comments:

चंदन कुमार मिश्र said...

किसी को दुख मत पहुँचाना…सीधी बात।

रविकर said...

सुन्दर रचनाओं में से एक ||

आभार ||

Kailash Sharma said...

बहुत सुंदर रचना...पढवाने के लिये आभार

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

सादर आभार....

प्रवीण पाण्डेय said...

सुन्दर रचना पढ़वाने का आभार।

Maheshwari kaneri said...

सुन्दर रचनाओं में से एक ||