Wednesday, October 12, 2011

आशा कम विश्वास बहुत है

जाने क्यों तुमसे मिलने की आशा कम, विश्वास बहुत है ।

सहसा भूली याद तुम्हारी उर में आग लगा जाती है
विरह-ताप भी मधुर मिलन के सोये मेघ जगा जाती है,
मुझको आग और पानी में रहने का अभ्यास बहुत है
जाने क्यों तुमसे मिलने की आशा कम, विश्वास बहुत है ।

धन्य-धन्य मेरी लघुता को, जिसने तुम्हें महान बनाया,
धन्य तुम्हारी स्नेह-कृपणता, जिसने मुझे उदार बनाया,
मेरी अन्धभक्ति को केवल इतना मन्द प्रकाश बहुत है
जाने क्यों तुमसे मिलने की आशा कम, विश्वास बहुत है ।

अगणित शलभों के दल के दल एक ज्योति पर जल-जल मरते
एक बूँद की अभिलाषा में कोटि-कोटि चातक तप करते,
शशि के पास सुधा थोड़ी है पर चकोर की प्यास बहुत है
जाने क्यों तुमसे मिलने की आशा कम, विश्वास बहुत है ।

मैंने आँखें खोल देख ली है नादानी उन्मादों की
मैंने सुनी और समझी है कठिन कहानी अवसादों की,
फिर भी जीवन के पृष्ठों में पढ़ने को इतिहास बहुत है
जाने क्यों तुमसे मिलने की आशा कम, विश्वास बहुत है ।

ओ ! जीवन के थके पखेरू, बढ़े चलो हिम्मत मत हारो,
पंखों में भविष्य बंदी है मत अतीत की ओर निहारो,
क्या चिंता धरती यदि छूटी उड़ने को आकाश बहुत है
जाने क्यों तुमसे मिलने की आशा कम, विश्वास बहुत है ।

-बलबीर सिंह 'रंग'

13 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

आशा का संचार करती पंक्तियाँ।

रविकर said...

बढ़िया प्रस्तुति |
हमारी बधाई स्वीकारें ||

vandana gupta said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति।

Patali-The-Village said...

बहुत सुन्दर सार्थक अभिव्यक्ति| धन्यवाद|

रेखा said...

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ..

G.N.SHAW said...

सुन्दर संकलन -आशावादी ! बधाई

शूरवीर रावत said...

बलवीर सिंह 'रंग' को शायद पहली बार पढ़ रहा हूँ. आह्लादित करती कविता..... पहले भी शायद निवेदन कर चुका हूँ कि कवि के साथ उनका संक्षिप्त परिचय व जीवन काल देते तो...... आभार!!

Vivek Jain said...

सुबीर साहब,आपका सुझाव सर माथे पर, कोशिश करुंगा कवि का संक्षिप्त परिचय देने का, परंतु अधिकतर समय का अभाव रहता है टाइप करने के लिये, माफी चाहता हूँ,पर जल्दी ही कोशिश करुंगा, आपका आशीर्वाद बना रहे बस,
विवेक जैन

Gyan Darpan said...

बढ़िया संकलन

Kunwar Kusumesh said...

सुन्दर सार्थक अभिव्यक्ति.

Yashwant R. B. Mathur said...

कल 21/11/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

सुन्दर प्रेरक रचना....
सादर आभार...

मेरा मन पंछी सा said...

bahut hi sundar prastuti hai....