Saturday, October 29, 2011

जो तुम आ जाते एक बार

जो तुम आ जाते एक बार

कितनी करूणा कितने संदेश
पथ में बिछ जाते बन पराग;
गाता प्राणों का तार तार
अनुराग भरा उन्माद राग;

आँसू लेते वे पथ पखार|

हंस उठते पल में आर्द्र नयन
धुल जाता होठों से विषाद,
छा जाता जीवन में बसंत
लुट जाता चिर संचित विराग;

आँखें देतीं सर्वस्व वार|
-महादेवी वर्मा

11 comments:

संजय भास्‍कर said...

.प्रेरक रचना...

अनुपमा पाठक said...

सुन्दर प्रस्तुति!

रविकर said...

रवि को रविकर दे सजा, चर्चित चर्चा मंच

चाभी लेकर बाचिये, आकर्षक की-बंच ||

रविवार चर्चा-मंच 681

प्रवीण पाण्डेय said...

उत्कृष्ट रचना।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सुन्दर प्रस्तुति

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

बहुत पुरानी यादें ताजा हो गईं।
महादेवी वर्मा जी की उत्कृष्ट रचनाओ में एक

vandana gupta said...

सुन्दर रचना।

दिगम्बर नासवा said...

अनुपम कृति ... बहुत ही मधुर रचना ...

Vaanbhatt said...

महादेवी जी को पढवाने के लिए...धन्यवाद...

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

सादर आभार....

Suresh kumar said...

सुन्दर प्रस्तुति.....