तुम आज हँसते हो हंस लो मुझ पर ये आज़माइश ना बार-बार होगी
मैं जानता हूं मुझे ख़बर है कि कल फ़ज़ा ख़ुशगवार होगी|
रहे मुहब्बत में ज़िन्दगी भर रहेगी ये कशमकश बराबर,
ना तुमको क़ुरबत में जीत होगी ना मुझको फुर्कत में हार होगी|
हज़ार उल्फ़त सताए लेकिन मेरे इरादों से है ये मुमकिन,
अगर शराफ़त को तुमने छेड़ा तो ज़िन्दगी तुम पे वार होगी|
-ख़्वाजा मीर दर्द
Tuesday, July 5, 2011
तुम आज हंसते हो हंस लो मुझ पर
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-ख़्वाजा मीर दर्द,
उर्दू,
तुम आज हंसते हो हंस लो मुझ पर,
नज्म,
प्रेम
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19 comments:
हज़ार उल्फ़त सताए लेकिन मेरे इरादों से है ये मुमकिन,
अगर शराफ़त को तुमने छेड़ा तो ज़िन्दगी तुम पे वार होगी| khwaza meer ki ye gazal aapne prastut kar bahut shandar prastuti dee hai badhai.
रहे मुहब्बत में ज़िन्दगी भर रहेगी ये कशमकश बराबर,
ना तुमको क़ुरबत में जीत होगी ना मुझको फुर्कत में हार होगी|....
लाज़वाब गज़ल पढवाने के लिये शुक्रिया..
लाज़वाब गज़ल पढवाने के लिये शुक्रिया..
मीर साहब की शानदार बंदगी पढवाने के लिए शुक्रिया...
हज़ार उल्फ़त सताए लेकिन मेरे इरादों से है ये मुमकिन,
अगर शराफ़त को तुमने छेड़ा तो ज़िन्दगी तुम पे वार होगी|
वाह बहुत खूब ..
ख़्वाजा मीर साहब की उम्दा शायरी प्रस्तुत करने के लिए आभार, विवेक जी।
हर शे’र में दिल के भाव की अभिव्यक्ति अच्छी लगी।
बहुत खूब.
bahut achchi ghazal hai.
बहुत ही प्यारी गजल पढवाई आपने। आभार।
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जादुई चिकित्सा !
इश्क के जितने थे कीड़े बिलबिला कर आ गये...।
रहे मुहब्बत में ज़िन्दगी भर रहेगी ये कशमकश बराबर,
ना तुमको क़ुरबत में जीत होगी ना मुझको फुर्कत में हार होगी|....
Behtreen....
sundar gazal...
हज़ार उल्फ़त सताए लेकिन मेरे इरादों से है ये मुमकिन,
अगर शराफ़त को तुमने छेड़ा तो ज़िन्दगी तुम पे वार होगी
इरादों को सलाम !!
रहे मुहब्बत में ज़िन्दगी भर रहेगी ये कशमकश बराबर,
ना तुमको क़ुरबत में जीत होगी ना मुझको फुर्कत में हार होगी|....
मीर साहब की लाज़वाब गज़ल पढवाने के लिए शुक्रिया..
अहा।
बहुत सुन्दर रचना |
कृपया मेरे भी ब्लॉग में आयें |
http://www.pradip13m.blogspot.com/
क्या बात है। बहुत बढिया।
ख्वाजा मीर दर्द की इस गज़ल को मुकेश जी ने बड़ी ही रुमानियत से गाया है.मुकेश के गैर फिल्मी गीत और गज़ल के कलेक्शन में कैसेट में मेरे पास संरक्षित है.
वाह...वाह...
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