Sunday, July 10, 2011

मुझको भी तरकीब सिखा यार जुलाहे

अकसर तुझको देखा है कि ताना बुनते
जब कोइ तागा टुट गया या खत्म हुआ
फिर से बांध के
और सिरा कोई जोड़ के उसमे
आगे बुनने लगते हो
तेरे इस ताने में लेकिन
इक भी गांठ गिराह बुन्तर की
देख नहीं सकता कोई

मैनें तो ईक बार बुना था एक ही रिश्ता
लेकिन उसकी सारी गिराहे
साफ नजर आती हैं मेरे यार जुलाहे
-ग़ुलज़ार

15 comments:

ana said...

anoothi rachana ......gulzar ji aur koi nahi

रविकर said...

लेकिन उसकी सारी गिराहे
साफ नजर आती हैं

अलबेली प्रस्तुति |
प्रसन्न हुआ मानस ||
आभार |

Kailash Sharma said...

लाज़वाब नज़्म पढवाने के लिये आभार..

रश्मि प्रभा... said...

मैनें तो ईक बार बुना था एक ही रिश्ता
लेकिन उसकी सारी गिराहे
साफ नजर आती हैं मेरे यार जुलाहे
.... gulzaar ji ke baare me kya kahna, bas jawaab nahi

Shalini kaushik said...

मैनें तो ईक बार बुना था एक ही रिश्ता
लेकिन उसकी सारी गिराहे
साफ नजर आती हैं मेरे यार जुलाहे
bahut nam hai gulzar ji ka aaj aapne unki shandar prastuti de man harshit kar diya hai vivek ji.thanks.

Rajesh Kumari said...

ek khoobsurat najm guljaar ji ki padhvaane ka shukriya.

Roshi said...

khoobsoorat nazm padvane ke liye dhanyabad

virendra sharma said...

रिश्ते दुनियावी पैवंद नुमा ही होतें हैं अब गठ्बंधनिया सरकार से .बुनकरों की बात दीगर है सरकार में तो बुनकर रहे नहीं .अच्छी रचना गुलज़ार साहब .की .

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

गुलजार साहब का जवाब नहीं।

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शूरवीर रावत said...

गुलजार साहब की एक उम्दा ग़ज़ल प्रस्तुत करने के लिए आपका हार्दिक आभार. वैसे यह ग़ज़ल उनकी ही आवाज में शायद आपने जगजीत सिंह की अल्बम 'मरासिम' में भी सुनी होगी. लेकिन पढ़कर तो और भी आनंद आ गया भाई, पुनः आभार !

जीवन का उद्देश said...

अच्छा लिखा है।
धन्यवाद

प्रवीण पाण्डेय said...

बेहतरीन, गुलजार गुलजार रहेंगे।

Vandana Ramasingh said...

गुलज़ार जी मेरे पसंदीदा लेखकों में से एक सबसे महत्वपूर्ण रचनाकार हैं ....आभार

Pratik Maheshwari said...

आहा.. गुलज़ार साहब! धन्यवाद प्रस्तुति के लिए..

परवरिश पर आपके विचारों का इंतज़ार है..
आभार

Maheshwari kaneri said...

मैनें तो ईक बार बुना था एक ही रिश्ता
लेकिन उसकी सारी गिराहे
साफ नजर आती हैं मेरे यार जुलाहे...बहुत सुन्दर......गुलजार साहब
मेरे पसंदीदा लेखकों में से एक है..आभार