जिसकी धुन पर दुनिया नाचे, दिल ऐसा इकतारा है,
जो हमको भी प्यारा है और, जो तुमको भी प्यारा है.
झूम रही है सारी दुनिया, जबकि हमारे गीतों पर,
तब कहती हो प्यार हुआ है, क्या अहसान तुम्हारा है.
जो धरती से अम्बर जोड़े , उसका नाम मोहब्बत है ,
जो शीशे से पत्थर तोड़े , उसका नाम मोहब्बत है ,
कतरा कतरा सागर तक तो ,जाती है हर उम्र मगर ,
बहता दरिया वापस मोड़े , उसका नाम मोहब्बत है .
पनाहों में जो आया हो, तो उस पर वार क्या करना ?
जो दिल हारा हुआ हो, उस पे फिर अधिकार क्या करना ?
मुहब्बत का मज़ा तो डूबने की कशमकश में हैं,
जो हो मालूम गहराई, तो दरिया पार क्या करना ?
बस्ती बस्ती घोर उदासी पर्वत पर्वत खालीपन,
मन हीरा बेमोल बिक गया घिस घिस रीता तनचंदन,
इस धरती से उस अम्बर तक दो ही चीज़ गज़ब की है,
एक तो तेरा भोलापन है एक मेरा दीवानापन.
तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है समझता हूँ,
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है समझता हूँ,
तुम्हे मै भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नही लेकिन,
तुम्ही को भूलना सबसे ज़रूरी है समझता हूँ
बहुत बिखरा बहुत टूटा थपेड़े सह नहीं पाया,
हवाओं के इशारों पर मगर मैं बह नहीं पाया,
अधूरा अनसुना ही रह गया यूं प्यार का किस्सा,
कभी तुम सुन नहीं पायी, कभी मैं कह नहीं पाया.
-कुमार विश्वास
Thursday, May 26, 2011
जिसकी धुन पर दुनिया नाचे
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कुमार विश्वास,
जिसकी धुन पर दुनिया नाचे,
दिल,
प्यार,
प्रेम,
सौन्दर्य
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23 comments:
दूसरों को तो पढाओ ही अपना भी कुछ जमाओ !
कुमार विश्वास आजकल हर जगह छाये हैं...उनको सुनना एक अलग अनुभव है...पढना एक और...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति....
लाजवाब प्रस्तुति।
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हंसते रहो भाई, हंसाने वाला आ गया।
ध्वस्त हो गयी प्यार की परिभाषा!
bahut sundar prastuti.
पनाहों में जो आया हो, तो उस पर वार क्या करना ?
जो दिल हारा हुआ हो, उस पे फिर अधिकार क्या करना ?
मुहब्बत का मज़ा तो डूबने की कशमकश में हैं,
जो हो मालूम गहराई, तो दरिया पार क्या करना ?
vivek ji kumar vishwas ji kee ye panktiyan bahut achchhi lagi.aabhar swwekaren.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति|धन्यवाद|
पनाहों में जो आया हो, तो उस पर वार क्या करना ?
जो दिल हारा हुआ हो, उस पे फिर अधिकार क्या करना ?
मुहब्बत का मज़ा तो डूबने की कशमकश में हैं,
जो हो मालूम गहराई, तो दरिया पार क्या करना ?
वाह! क्या बात है! सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार रचना लिखा है आपने! प्रशंग्सनीय प्रस्तुती!
sundar
तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है समझता हूँ,
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है समझता हूँ,
तुम्हे मै भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नही लेकिन,
तुम्ही को भूलना सबसे ज़रूरी है समझता हूँ.bahut sunder shabdon ka chyan.sunder prastuti.badhaai aapko.
plese visit my blog and leave acomments also.
सुंदर रचना.
khoobsurat geet...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
पनाहों में जो आया हो, तो उस पर वार क्या करना ?
जो दिल हारा हुआ हो, उस पे फिर अधिकार क्या करना ?
मुहब्बत का मज़ा तो डूबने की कशमकश में हैं,
जो हो मालूम गहराई, तो दरिया पार क्या करना ?
सच ही तो कहा है...बहुत सुन्दर रचना के लिए शुक्रिया..
आशु
विवेक जी,बहुत अच्छी रचनाएँ हैं.
दिल से निकली हुई ,
दिल तक पहुँचती हुई.
तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है समझता हूँ,
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है समझता हूँ,
तुम्हे मै भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नही लेकिन,
तुम्ही को भूलना सबसे ज़रूरी है समझता हूँ
अफ़सोस,आपके ब्लॉग पर पहले क्यों न पहुंचा.
आप एरे ब्लॉग पर आये,सचमुच पढा? अच्छा है. हाँ मैं बहुत भावुक किस्म की औरत हूँ.दिल और दिमाग में जयादा संतुलन नही बैठा पाती.दिल की सुनती हूँ.दिल ने कभी धोखा नही दिया.
ये प्रेम,प्यार मुहब्बत है न दिल में जनम लेता है ,दिल में ही पनपता है.इसी लिए ईश्वर बन गया है कि खुद ईश्वर के करीब दिल में रहता है.इस प्रेम के लिए रचा गया हर गीत इसीलिए इतना खूबसूरत हो जाता है.
कुमार विश्वास को छापते हो .खुद क्यों नही लिखते? लिखो.हा हा हा
बहुत सुंदर रचना है,हमारे ब्लॉग पर आने का धन्यवाद्!!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
शानदार संकलन और ब्लॉग पर बेहतरीन प्रसुतिति!
सुन्दर प्रस्तुति...
i want to follow your blog but how ? its amazing to read all the famous poets !thanx to share with us !!
एक चीज़ गज़ब की है...आपकी लेखनी ..एक और चीज़ गज़ब की है आपके खुबसूरत जज्बात..
आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद
-विवेक जैन
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