सारे जहाँ से अच्छा
हिन्दोस्तां हमारा
हम बुलबुलें हैं इसकी
वो गुलिस्तां हमारा
हिन्दोस्तां हमारा
हम बुलबुलें हैं इसकी
वो गुलिस्तां हमारा
परबत वो सबसे ऊँचा
हमसाया आसमां का
वो संतरी हमारा
वो पासबां हमारा
हमसाया आसमां का
वो संतरी हमारा
वो पासबां हमारा
गोदी में खेलती हैं
जिसके हज़ारों नदियाँ
गुलशन है जिसके दम से
रश्क–ए–जिनां हमारा
जिसके हज़ारों नदियाँ
गुलशन है जिसके दम से
रश्क–ए–जिनां हमारा
मज़हब नहीं सिखाता
आपस में बैर रखना
हिन्दी हैं हम, वतन है
हिन्दोस्तां हमारा
आपस में बैर रखना
हिन्दी हैं हम, वतन है
हिन्दोस्तां हमारा
— मुहम्मद इक़बाल
3 comments:
साझा करने का आभार ..जय हिन्द
सुन्दर ,सटीक और सार्थक . बधाई
सादर मदन .कभी यहाँ पर भी पधारें .
http://saxenamadanmohan.blogspot.in/
aapne baahut hi acchi jankari di he hameyye blog padh kar bahut khushi huvi.
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