गरमी में प्रात:काल पवन
बेला से खेला करता जब
तब याद तुम्हारी आती है।
जब मन में लाखों बार गया-
आया सुख सपनों का मेला,
जब मैंने घोर प्रतीक्षा के
युग का पल-पल जल-जल झेला,
मिलने के उन दो यामों ने
दिखलाई अपनी परछाईं,
वह दिन ही था बस दिन मुझको
वह बेला थी मुझको बेला;
उड़ती छाया सी वे घड़ियाँ
बीतीं कब की लेकिन तब से,
गरमी में प्रात:काल पवन
बेला से खेला करता जब
तब याद तुम्हारी आती है।
तुमने जिन सुमनों से उस दिन
केशों का रूप सजाया था,
उनका सौरभ तुमसे पहले
मुझसे मिलने को आया था,
बह गंध गई गठबंध करा
तुमसे, उन चंचल घड़ियों से,
उस सुख से जो उस दिन मेरे
प्राणों के बीच समाया था;
वह गंध उठा जब करती है
दिल बैठ न जाने जाता क्यों;
गरमी में प्रात:काल पवन,
प्रिय, ठंडी आहें भरता जब
तब याद तुम्हारी आती है।
गरमी में प्रात:काल पवन
बेला से खेला करता जब
तब याद तुम्हारी आती है।
चितवन जिस ओर गई उसने
मृदों फूलों की वर्षा कर दी,
मादक मुसकानों ने मेरी
गोदी पंखुरियों से भर दी
हाथों में हाथ लिए, आए
अंजली में पुष्पों से गुच्छे,
जब तुमने मेरी अधरों पर
अधरों की कोमलता धर दी,
कुसुमायुध का शर ही मानो
मेरे अंतर में पैठ गया!
गरमी में प्रात:काल पवन
कलियों को चूम सिहरता जब
तब याद तुम्हारी आती है।
गरमी में प्रात:काल पवन
बेला से खेला करता जब
तब याद तुम्हारी आती है।
-हरिवंशराय बच्चन
Friday, April 29, 2011
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10 comments:
vivek ji
bahut sunadar ,bahut hi sahndaar rachna pratah kal ki bela me pdhne ko mili. har panktiyano me shbdo ko sundar samanjasy dekhne ko mila.
तुमने जिन सुमनों से उस दिन
केशों का रूप सजाया था,
उनका सौरभ तुमसे पहले
मुझसे मिलने को आया था,
बह गंध गई गठबंध करा
तुमसे, उन चंचल घड़ियों से,
उस सुख से जो उस दिन मेरे
प्राणों के बीच समाया था;
kya baat hai bahut hi shandar post ke liye bahut bahut badhai v dhanyvaad
poonam
बहुत अच्छी कविता पढ़वायी आपने, आभार।
धन्यवाद्
तुमने जिन सुमनों से उस दिन
केशों का रूप सजाया था,
उनका सौरभ तुमसे पहले
मुझसे मिलने को आया था,
बह गंध गई गठबंध करा
तुमसे, उन चंचल घड़ियों से,
उस सुख से जो उस दिन मेरे
प्राणों के बीच समाया था;
bachchan ji mere priya kavi ,unki rachna to adbhut hai ,shukriyaan aapka .
उत्तम कविता...
जब याद तुम्हारी आती है.
टोपी पहनाने की कला...
गर भला किसी का कर ना सको तो...
Behtareen kavita...
aapka dhanywaad.
आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद!
विवेक जैन
nice poem by HB
कविश्री बच्चन जी की इस सुंदर रचना को प्रस्तुत करने के लिए आभार !
I am Bachchan ji's admirer.
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